ग़ज़ल क्या है What is Ghazal in Hindi [Easy way]
दोस्तों नमस्कार !
आज की पोस्ट मे हम आपको “ग़ज़ल और शायरी के बारे मे बहुत ही सरल तरीके से समझाने कि कोशिश करेंगे।
ज्यादातर लोग को पता नहीं होगा की ग़ज़ल और शायरी क्या होती है।
What is Ghazl in Hindi
तो आज जानते है इसके बारे मे
आइए थोड़ा हिस्ट्री मे जाते है इसको समझने के लिए।
हिंदी गजल का इतिहास
ग़ज़ल एक उर्दू विद्या है और इसकी उत्पत्ति उर्दू से ही हुई है।
यह बहुत प्राचीन है सातवीं सदी की अरबी कविता से ग़ज़ल आया है ।
और तकरीबन १२वि सदी में सूफी फकीरो और मुग़ल सल्तनत के दरबार के प्रभाव से भारत
और पूरा दक्षिण एशिया में ग़ज़ल का प्रभाव फ़ैल गया, अब यह भारतीय और तुर्की में विविध भाषाओं में कविता का प्रमुख रूप है।
ग़ज़ल क्या हैं ? गजल का क्या अर्थ होता है?
उर्दू साहित्य में लिखी जाने वाली काव्य विद्या एवम एक से अधिक शेर के समहू को ग़ज़ल कहा जाता है ।
और प्रत्येक शेर एक ही वजन (मात्रा क्रम) अथवा बहर (छंद) में लिखा जाता है ।
अक्सर ग़ज़ल में तीन, पांच, सात यानी विषम सख्ंया में शरे होते हैं एक ग़ज़ल में पांच से लेकर पच्चीस शेर हो सकते हैं ।
शेर – रदीफ एवम काफिया से मिलकर एक ही बहर में लिखी गई दो पक्तिंयो को शेर कहा जाता हैं ।
अश आर – शेर के बहुवचन को अश आर कहते हैं ।
मिसरा – शेर की हर पक्तिं को मिसरा कहा जाता हैं ।
मिसरा ए उला – शेर कि पहली पक्तिं को मिसरा ए उला कहते हैं ।
मिसरा ए सानी – शेर कि दूसरी पक्तिं को मिसरा ए सानी कहते हैं
उदाहरण के लिए निदा फ़ाज़ली का यह शेर लेते है
कभी कि सी को मकुम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मकुम्मल जहाँ नहीं मिलता – मि सरा ए उला
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता – मि सरा ए सानी
मतला – ग़ज़ल का पहला शेर जिसके दोनो मिसरो में रदिफ और काफिया होता है
हुस्न ए मतला – जब ग़ज़ल में मतला के बाद मतला आ जाए तो वह हुस्न ए मतला कहलाता है
मक़्ता – ग़ज़ल के अतिंम शेर को मक़्ता कहते हैं इस शेर में कभी कभी शायर अपना उपनाम लिखता है
तख़ल्लसु – उर्दू काव्य विद्या में अतिंम शेर शायर अपना उप नाम लिखता है उस उपनाम को तख़ल्लसु कहते हैं
रदीफ – यह वह शब्द अथवा शब्द समूह होता है जो मतले के दोनो मिसरो के अतं मे आता है अथवा अन्य अश आर के मिसरा ए सानी यानी दूसरी पक्तिं में आता है
उदाहरण
कभी किसी को मकुम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
इस शरे में नहीं मिलता रदीफ है
क़ाफिया – यह वह शब्द होता है जो हर शरे में ठीक रदीफ के पहले आता है और तुकबंदी के हिसाब से हर शेर में बदलता रहता है जितना सुंदर काफिया होगा शेर उतना ही निखर कर आएगा अर्थात काफिया शेर का आकर्षण केंद्र है
उदाहरण
कभी किसी को मकुम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
इस शरे में
जहाँ, आसमाँ – काफिया है
बहर – जिस लय या धुन पर ग़ज़ल कही जाती हैं उसे बहर कहते हैं
आशा है आपको अब ग़ज़ल समझ मे आ गई होगी की ग़ज़ल क्या होती हैं है और शायरी क्या है।