तुम मेरे थे लेकिन तुम मेरे नहीं हो | You were mine but you are not mine!!!
क्या आप कभी ऐसे सिचुएशन पे पड़े हो या किसी को देखा होगा, ऐसा जो कभी तो आपके थे अभी नहीं है या अक्सर कही भी संबध मैं अक्सर आजकल के प्यार दोस्ती पे तो प्रिय और प्रियसी कहती है, अभी तुम मेरे क्यों नहीं हो तब तो मेरे थे हक़ से मेरे थे तो इसी के ऊपर लिखा हुआ ये ग़ज़ल है
Tum mere the kabhi par kyun na ban paaye meri taqdeer kabhi
Aadat si the kabhi par kyun na ban paaye vo khuda jis ki ibaadat kar paate hum aaj bhi
Umar bhar sath rahne ke vaade kiye karte the kabhi, par kyun kabhi tumne nibhaye nahi
Meri palko par aansu na aane dete the kabhi, fir kyun aaj tumhein mere ashaqo ki parvaah nahi
Tum sath to the us pal, fir kyun is pal mere sath nhi…..!!
तुम मेरे थे लेकिन तुम मेरे नहीं हो
तुम मेरे थे कभी ,पर क्यूँ न बन पाए मेरी तकदीर कभी
आदत सी थे कभी, पर क्यूँ न बन पाए वो खुदा जिस की इब्बादत कर पाते हम आज भी
उम्र भर साथ रहने के वाडे किये करते थे कभी, पर क्यों कभी तुह्मे निभाए नहीं
मेरी पलकों पर आंसू न आने देते थे कभी, फिर कन्यु आज तुहें मेरे अश्क़ की परवाह नहीं
तुम साथ तो थे उस पल, फिर कन्यु इस पल परे साथ नहीं।।
अच्छा जी
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